मेरठ संवाददाता एन 20 न्यूज
मेरठ। अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण महासभा मेरठ के जिला उपाध्यक्ष प्रवीण शर्मा ने कहा कि आज देश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी जिस प्रकार परिवार और समाज को तोड़ने की राजनीति कर रही है, वह लोकतंत्र और भारतीय संस्कृति दोनों के लिए बेहद चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार ने जिस प्रकार हमारे पारिवारिक कार्यक्रम में राजनीतिक हस्तक्षेप करते हुए हमारे परिवार को एकजुटता से दूर रखने का प्रयास किया, उसने न केवल मेरे परिवार की भावनाओं को ठेस पहुंचाई, बल्कि मेरे दादा बी.डी. लंदन तोड़ की आत्मा को भी झकझोर दिया है। प्रवीण शर्मा ने कहा कि “मेरे दादा बी.डी. लंदन तोड़ ने अपने जीवनकाल में समाजसेवा, एकता और संस्कारों को सर्वोपरि माना था। उन्होंने हमेशा ब्राह्मण समाज और भारतीय संस्कृति के उत्थान के लिए कार्य किया। आज यह देख कर आत्मा व्यथित होती है कि आज़ादी के बाद जिस लोकतांत्रिक भारत का सपना उन्होंने देखा था, उसी भारत में अब सत्ताधारी पार्टी परिवारों और समाज को बाँटने का कार्य कर रही है। उन्होंने आगे कहा कि भाजपा के जनप्रतिनिधियों द्वारा अपनाई जा रही इस ‘परिवार तोड़ो और शासन करो की नीति ने राजनीति की गरिमा को कलंकित किया है। उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि भाजपा के उन सभी जनप्रतिनिधियों को हार्दिक बधाई, जिन्होंने अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए परिवार की एकता को कुचल दिया और मेरे दादा बी.डी. लंदन तोड़ की आत्मा के टुकड़े कर दिए। परवीन शर्मा ने विशेषकर अपने ही समाज के ब्राह्मण जनप्रतिनिधियों पर भी तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि सबसे अधिक दुख इस बात का है कि मेरे ही समाज के कुछ प्रतिनिधि, जो ब्राह्मण संस्कृति और मर्यादा के रक्षक कहलाते हैं, वे भी राजनीति की राह पर इस हद तक गिर गए कि परिवार की भावना और परंपरा को भूल बैठे। ऐसे लोग न समाज के सच्चे प्रतिनिधि हैं, न ही संस्कृति के संवाहक। अंत में जिला उपाध्यक्ष प्रवीण शर्मा ने कहा कि यह केवल राजनीति का नहीं बल्कि संस्कारों, परंपरा और आत्मसम्मान का प्रश्न है। ब्राह्मण समाज हमेशा से एकता, सम्मान और आदर्शों का प्रतीक रहा है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि समाज जागे, एकजुट हो और ऐसी राजनीति को सिरे से नकार दे जो संघर्ष की नहीं, बंटवारे की राह दिखाती है।उन्होंने कहा कि भाजपा को यह समझना चाहिए कि सत्ता अस्थायी है, परंतु संस्कार और सत्य शाश्वत हैं। और कहा कि हम संघर्ष से नहीं डरते, परंतु अन्याय और अपमान को कभी स्वीकार नहीं करेंगे।

